Wednesday, March 21, 2012

भजन


गडरिए कितने सुखी हैं ।

गडरिए कितने सुखी हैं ।

न वे ऊँचे दावे करते हैं
न उनको ले कर
एक दूसरे को कोसते या लड़ते.मरते हैं।
जबकि
जनता की सेवा करने के भूखे
सारे दल भेडियों से टूटते हैं ।
ऐसी.ऐसी बातें
और ऐसे.ऐसे शब्द सामने रखते हैं
जैसे कुछ नहीं हुआ है
और सब कुछ हो जाएगा ।

जबकि
सारे दल
पानी की तरह धन बहाते हैंए
गडरिए मेंड़ों पर बैठे मुस्कुराते हैं
ण्ण्ण् भेडों को बाड़े में करने के लिए
न सभाएँ आयोजित करते हैं
न रैलियाँए
न कंठ खरीदते हैंए न हथेलियाँए
न शीत और ताप से झुलसे चेहरों पर
आश्वासनों का सूर्य उगाते हैंए
स्वेच्छा से
जिधर चाहते हैंए उधर
भेड़ों को हाँके लिए जाते हैं ।

गडरिए कितने सुखी हैं ।

भ्रंद
य1द्ध

(2)
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी।

देख्यौ चाहति कमलनैन कौए
निसि.दिन रहति उदासी।।

आए ऊधै फिरि गए आँगनए
डारि गए गर फांसी।

केसरि तिलक मोतिन की मालाए
वृन्दावन के बासी।।

काहू के मन को कोउ न जानतए
लोगन के मन हांसी।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौए
करवत लैहौं कासी।।









2
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो।
इस भव बंधन के भय से हमें उबारौ।

तुम कृपा सिंधु रघुनाथ नाथ हो मेरे ।
मैं अधम पड़ा हूँ चरण कमल पर तेरे।
हे नाथ। तनिक तो हमरी ओर निहारो।
अब कृपा करो ण्ण्ण्

मैं पंगु दीन हौं हीन छीन हौं दाता ।
अब तुम्हें छोड़ कित जाउं तुम्हीं पितु माता ।
मैं गिर न कहीं प्रभु जाऊँ आय सम्हारो।
अब कृपा करो

मन काम क्रोध मद लोभ मांहि है अटका ।
मम जीव आज लगि लाख योनि है भटका ।
अब आवागमन छुड़ाय नाथ मोहि तारो।
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो ॥








आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में ण्
प्रियतम सीताराम हृदय में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम रोम रोम में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम जन जन में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम कण कण में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम मुख में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम मन में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम स्वांस स्वांस में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्ण्







3
उठ जाग मुसाफिर भोर भईए अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
जो जागत है सो पावत हैए जो सोवत है वो खोवत है

खोल नींद से अँखियाँ जरा और अपने प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीति करन की रीती नहीं प्रभु जागत है तू सोवत हैण्ण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्

जो कल करना है आज करले जो आज करना है अब करले
जब चिडियों ने खेत चुग लिया फिर पछताये क्या होवत हैण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्

नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठरी शीश धरी फिर शीश पकड़ क्यों रोवत हैण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्ण्
ष्












4
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥

कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥

पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥

तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥

ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥
ष्


कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगाए
आना पड़ेगा ण्
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ण्ण्

गोकुल में आया मथुरा में आ
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा ण्
अरे सांवरे देख आ के जरा
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ण्ण्

जमुना के पानी में हलचल नहीं ण्
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं ण्
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ ण्
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं ण्

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्ण्

तुम राम रूप में आनाए तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेकेए धनुष हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम श्याम रूप में आनाए तुम श्याम रूप में आनाए
राधा साथ लेकेए मुरली हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम शिव के रूप में आनाए तुम शिव के रूप में आनाण्ण्
गौरा साथ लेके ए डमरू हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम विष्णु रूप में आनाए तुम विष्णु रूप में आनाए
लक्ष्मी साथ लेकेए चक्र हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम गणपति रूप में आनाए तुम गणपति रूप में आना
रीधी साथ लेकेए सीधी साथ लेके ए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्ण्

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्





करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना ण्ण्

कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ ण्
करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना ण्ण्

कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो ण्
सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना ण्ण्

पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ ण्
भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ण्ण्















कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे
सुनयना रानी अपनी लली को दुलरावे

मुख चू्मे और कण्ठ लगावे
मन में मोद में मनावे
कौशल्या रानी
मन में मोद में मनावे

शिव ब्रह्मा जाको पार न पावे
निगम नेति कहि गावे
कौशल्या रानी
निगम नेति कहि गावे

हरि सहचरि बड़ भाग्य निराली
अपनी गोद खिलावे
कौशल्या रानी
अपनी गोद खिलावे








घूँघट का पट खोल रेए
तोहे पिया मिलेंगे।

घट घट रमता राम रमैयाए
कटुक बचन मत बोल रे॥

रंगमहल में दीप बरत हैए
आसन से मत डोल रे॥

कहत कबीर सुनो भाई साधोंए
अनहद बाजत ढोल रे॥













छोटी छोटी गैयाँए छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

छोटी छोटी गैयाँए छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

आगे आगे गैयाँ पीछे पीछे ग्वाल
बीच मैं है मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

घास खाए गैयाँए दूध पीये ग्वाल
माखन मिसरी खाए मेरो मदन गोपालण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

काली काली गैयाँए गोरे गोरे ग्वाल
श्याम वरन मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी लाखुटी छोटे छोटे हाथ
बंसी बजावे मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी सखियाँ मधुबन बाल
रास रचावे मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ
ष्
जब से लगन लगी प्रभु तेरी
जब से लगन लगी प्रभु तेरी सब कुछ मैं तो भूल गयी हूँ ण्ण्
बिसर गयी क्या था मेरा बिसर गयी अब क्या है मेरा ण्
अब तो लगन लगी प्रभु तेरी तू ही जाने क्या होगा ण्ण्
जब मैं प्रभु में खो जाती हूं मेघ प्रेम के घिर आते हैं ण्
मेरे मन मंदिर मे प्रभु के चारों धाम समा जाते हैं ण्ण्
बार बार तू कहता मुझसे जग की सेवा कर तू मन से ण्
इसी में मैं हूं सभी में मैं हूं तू देखे तो सब कुछ मैं हूं ण्ण्
ष्


जय जय गिरिबरराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥

जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥

भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
ष्

जय राम रमारमनं शमनं ण् भव ताप भयाकुल पाहि जनं ण्ण्
अवधेस सुरेस रमेस विभो ण् शरनागत मांगत पाहि प्रभो ण्ण्
दससीस विनासन बीस भुजा ण् कृत दूरि महा महि भूरि रुजा ण्ण्
रजनीचर बृंद पतंग रहे ण् सर पावक तेज प्रचंड दहे ण्ण्
महि मंडल मंडन चारुतरं ण् धृत सायक चाप निषंग बरं ण्ण्
मद मोह महा ममता रजनी ण् तम पुंज दिवाकर तेज अनी ण्ण्
मनजात किरात निपात किये ण् मृग लोग कुभोग सरेन हिये ण्ण्
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे ण् विषया बन पांवर भूलि परे ण्ण्
बहु रोग बियोगिन्हि लोग हये ण् भवदंघ्रि निरादर के फल ए ण्ण्
भव सिंधु अगाध परे नर ते ण् पद पंकज प्रेम न जे करते ण्ण्
अति दीन मलीन दुःखी नितहीं ण् जिन्ह कें पद पंकज प्रीत नहीं ण्ण्
अवलंब भवंत कथा जिन्ह कें ण् प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह कें ण्ण्
नहिं राग न लोभ न मान मदा ण् तिन्ह कें सम बैभव वा बिपदा ण्ण्
एहि ते तव सेवक होत मुदा ण् मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ण्ण्
करि प्रेम निरंतर नेम लियें ण् पद पंकज सेवत शुद्ध हियें ण्ण्
सम मानि निरादर आदरही ण् सब संत सुखी बिचरंति मही ण्ण्
मुनि मानस पंकज भृंग भजे ण् रघुवीर महा रनधीर अजे ण्ण्
तव नाम जपामि नमामि हरी ण् भव रोग महागद मान अरी ण्ण्
गुन सील कृपा परमायतनं ण् प्रनमामि निरंतर श्रीरमनं ण्ण्
रघुनंद निकंदय द्वंद्व घनं ण् महिपाल बिलोकय दीन जनं ण्ण्
बार बार बर मागौं हरषि देहु श्रीरंग ण्
पद सरोज अनपायानी भगति सदा सतसंग ण्ण्
जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ॥

सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥

दुष्ट दुरूशासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।
ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥

जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥
ष्







5
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आयाए मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
जैसे मिल ना रहा हो किनाराए मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

शीतल बने आग चंदन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरीए जो थीं अमावस अंधेरी
युग. युग से प्यासी मरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
फूलों में खारों मेंए पतझड़ बहारों में
मैं न कभी डगमगाऊंए मैं न कभी डगमगाऊं
पानी के प्यासे को तकदीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

6
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो ॥

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलोए प्रेम की गंगा

आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलोए प्रेम की गंगा

छाया है छाओं और अंधेरा भटक गैइ हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलोए प्रेम की गंगा
ष्
तुम तजि और कौन पै जाऊं ।
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ॥

ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं ।
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ॥

रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं ।
कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं ॥

भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥
ष्
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥

तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे कोई न अपना सिवा तुम्हारे ।
तुम्ही हो नैय्या तुम्ही खेवैय्या तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥

जो कल खिलेंगे वो फूल हम हैं तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ।
दया की दृष्टि सदा ही रखना तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।।ःम्0ः।4ःठथ्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः8ठऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥

इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुझ्को ।
क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझ्को ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥

क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है ।
इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः82ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ः।8ऋःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः87ःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः9क्ःम्0ः।5ः80ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
भजनों का मुखपृष्ठ

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे ॥
नैया तेरी राम हवाले लहर
लहर हरि आप सम्हाले हरि
आप ही उठायें तेरा भार
उदासी मन काहे को करे ॥
काबू में मंझधार उसी के
हाथों में पतवार उसी के
तेरी हार भी नहीं है तेरी
हार उदासी मन काहे को करे ॥
सहज किनारा मिल जायेगा
परम सहारा मिल जायेगा
डोरी सौंप के तो देख एक बार
उदासी मन काहे को करे ॥
तू निर्दोष तुझे क्या डर है
पग पग पर साथी ईश्वर है ।
सच्ची भावना से कर ले पुकार
उदासी मन काहे को करे ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।
देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं ।
तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं ॥
अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं ।
हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ॥
ष्
भजो राधे गोविंदा
भजो राधे गोविंदा

गोपाला तेरा प्यारा नाम है
गोपाला तेरा प्यारा नाम है
नंदलाला तेरा प्यारा नाम है

मोर मुकुट माथे तिलक विराजे
गले वैजन्थिमाला गले वैजन्थिमाला
कोई कहे वासुदेव का नंदन
कोई कहे नंदलाला कोई कहे नंदलाला

भजो राधे गोविंदा ण् ण् ण्

गज और ग्रेहे लड़े जल भीतर
जल में चक्र चलाया जल में चक्र चलाया
जब जब पीर पड़ी भगतों पर
नंगे पैरीं धाया नंगे पैरीं धायाण्ण्ण्

भजो राधे गोविंदाण्ण्
भजनों का मुखपृष्ठ

मन लाग्य मेरो यार
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
भला बुरा सब का सुन्लीजै
कर गुजरान गरीबी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
आखिर यह तन छार मिलेगा
कहाँ फिरत मगरूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
प्रेम नगर में रहनी हमारी
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
कहत कबीर सुनो भयी साधो
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामए
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

अयोध्या नगरी में तुम जन्मे ए दशरथ पुत्र कहायेए
विश्वामित्र थे गुरु तुम्हारेए कौशल्या के जायेए
ऋषि मुनियों की रक्षा करके तुमने किया है नाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
तुलसी जैसे भक्त तुम्हारेए बांटें जग में ज्ञानण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

सुग्रीव.विभीषण मित्र तुम्हारेए केवट. शबरी साधकए
भ्राता लक्ष्मण संग तुम्हारेए राक्षस सारे बाधकए
बालि.रावण को संहाराए सौंपा अदभुद धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
जटायु सा भक्त आपका आया रण में काम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

शिव जी ठहरे तेरे साधकए हनुमत भक्त कहातेए
जिन पर कृपा तुम्हारी होती वो तेरे हो जातेए
सबको अपनी शरण में ले लोए दे दो अपना धाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
जग में हम सब चाहें तुझसेए भक्ति का वरदान ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

मोक्ष.वोक्ष कुछ मैं ना माँगूं ए कर्मयोग तुम देनाए
जब भी जग में मैं गिर जाऊँ मुझको अपना लेनाए
कृष्ण और साईं रूप तुम्हारेए करते जग कल्याण ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
कैसे करुँ वंदना तेरी ए दे दो मुझको ज्ञान ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

जो भी चलता राह तुम्हारीए जग उसका हो जाताए
लव.कुश जैसे पुत्र वो पाएए भरत से मिलते भ्राताए
उसके दिल में तुम बस जाना जो ले.ले तेरा नाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
भक्ति सहित अम्बरीष सौंपे तुझको अपना प्रणाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
भजनों का मुखपृष्ठ

मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान् तुम्हारे चरणों में
यह विनती है पल पल छिन कीए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में

चाहे बैरी सब संसार बनेए चाहे जीवन मुझ पर भार बने
चाहे मौत गले का हार बनेए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!१!!

चाहे अग्नि में मुझे जलना होए चाहे काटों पे मुझे चलना हो
चाहे छोडके देश निकलना होए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!२!!

चाहे संकट ने मुझे घेरा होए चाहे चारों ओर अँधेरा हो
पर मन नहीं डग मग मेरा होए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!३!!

जिव्हा पर तेरा नाम रहेए तेरा ध्यान सुबह और शाम रहे
तेरी याद तो आठों याम रहेए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!४!!
रघुबर तुमको मेरी लाज

सदा सदा मैं शरण तिहारी
तुम हो गरीब नेवाज
रघुबर तुम हो गरीब नेवाज
रघुबर तुमको मेरी लाज

पतित उधारन विरद तिहारो
श्रवन न सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन कहिये
पार उतारो जहाज रघुबर
पार उतारो जहाज
रघुबर ण्ण्ण्

अघ खण्डन दुख भंजन जन के
यही तिहारो काज
रघुबर यही तिहारो काज

तुलसीदास पर किरपा कीजे
भक्ति दान देहु आज
रघुबर भक्ति दान देहु आज
रघुबर तुमको मेरी लाज ण्ण्ण्
ष्
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति ण्ण्ण्
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति ण्ण्ण्
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति ण्ण्ण्
राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

निर्गुणियों के साँवरिया ने
खोये भाग जगाये ।

मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा
केवल नाम पुकारूं ।

साँवरिया बिन हिरदय दूजो
और न कोई धारूँ ।

चुपके से मन्दिर में जाके
जैसे दीप जलाये ॥

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

दुःखों में था डूबा जीवन
सारे सहारे टूटे ।

मोह माया ने डाले बन्धन
अन्दर बाहर छूटे ॥

कैसी मुश्किल में हरि मेरे
मुझको बचाने आये ।

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

दुनिया से क्या लेना मुझको
मेरे श्याम मुरारी ॥

मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं
सर्वस्व है गिरिधारी ।

शरन लगा के हरि ने मेरे
सारे दुःख मिटाये ॥

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

भजनों का मुखपृष्ठ

राधे तू राधेए राधे तू राधे ए तेरा नाम रटूं मैंए
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्ण्

सावन का महिना होगा उसमें होंगे झूलेए
राधे तू झूले ए तेरी डोर बनूँ मैं ण्ण् तेरी डोर बनूँ मैंण्ण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्

बाधो का महिना होगा उसमें होंगे बादलए
राधे तू बादलए राधे तू बादलए तेरा नीर बनूँ मैंए तेरा नीर बनूँ मैं
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्

कार्तिक का महिना होगा उसमें होंगे दीपक
राधे तू दीपकए राधे तू दीपकए तेरी ज्योत बनूँ मैंण्ण्ण्ण्तेरी ज्योत बनूँ मैंण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्

फागुन का महिना होगा उसमें होगी होलीए
राधे तू होलीए राधे तू होली तेरा रंग बनूँ मैंए तेरा रंग बनूँ मैंण्ण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्

राधे तू राधेए राधे तू राधे ए तेरा नाम रटूं मैंए
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।7ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः82ऋःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।7ःम्0ः।5ः87ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

श्याम प्यारे की जय
बंसीवारे की जय
बोलो पीत पटवारे की जय जय

मेरे प्यारे की जय
मेरी प्यारी की जय
गलबाँहें डाले छवि न्यारी की जय

राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय

राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय


राधे से रस ऊपजेए रस से रसना गाय ।

अरे कृष्णप्रियाजू लाड़लीए तुम मोपे रहियो सहाय ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
वृष्भानु दुलारी की जय जय जय
बोलो कीरथि प्यारी की जय जय जय घ्घ्

बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

मेरे प्यारे की जय
मेरी प्यारी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय
गलबाँहें डाले छवि न्यारी की जय


वृन्दावन के वृक्ष को मरम न जाने कोय ।

जहाँ डाल डाल और पात पे श्री राधे राधे होय ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

एक चंचल एक भोली भाली की जय
राधे रानी की जय जय
महारानी की जय


वृन्दावन बानिक बन्यो जहाँ भ्रमर करत गुंजार ।

अरी दुल्हिन प्यारी राधिकाए अरे दूल्हा नन्दकुमार ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय
एक चंचल एक भोली भाली की जय


वृन्दावन से वन नहींए नन्दगाँव सो गाँव ।

बन्सीवट सो वट नहींए कृष्ण नाम सो नाम ॥


बन्सीवारे की जय
बन्सीवारे की जय
बोलो पीतपटवारे की जय जय जय
राधे रानी की जय जय
महारानी की जय



राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे की दास ।

जनम जनम मोहे दीजियो श्री वृन्दावन वास ॥



सब द्वारन को छाँड़ि केए अरे आयी तेरे द्वार ।

वृषभभानु की लाड़लीए तू मेरी ओर निहार ॥



राधे रानी की जय जय
महारानी की जय

जय हो !

बोलो वृन्दावन की जय । घ्
अलबेली सरकार की जय ।
बोलो श्री वृन्दावन बिहारी लाल की जय ॥
राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत ण्
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत ण्ण्

राम करे सो होय रे मनवाए राम करे सो होये ण्ण्

कोमल मन काहे को दुखायेए काहे भरे तोरे नैना ण्
जैसी जाकी करनी होगीए वैसा पड़ेगा भरना ण्
काहे धीरज खोये रे मनवाए काहे धीरज खोये ण्ण्

पतित पावन नाम है वाकोए रख मन में विश्वास ण्
कर्म किये जा अपना रे बंदेए छोड़ दे फल की आस ण्
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवाए राह दिखाऊँ तोहे ण्ण्
ष्
राम दो निज चरणों में स्थान
शरणागत अपना जन जान


अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधन हीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
राम दो ण्ण्ण्

सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं ।
राम नाम मुद मंगल धाम।
राम दो ण्ण्ण्

केवल राम नाम ही जानूं ।
और धर्म मत ना पहिचानूं ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
राम दो ण्ण्ण्

हनुमत जैसा अतुलित बल दो ।
पर.सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि विवेक शक्ति सम्बल दो ।
पूरा करूं राम का काम।
राम दो निज चरणों में स्थान
उममतं
राम नाम रस पीजे मनुवाँ राम नाम रस पीजै ।
तज कुसंग सत्संग बैठ नित हरि चर्चा सुन लीजै ॥
काम क्रोध मद लोभ मोह को बहा चित्त से दीजै ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ताहिके रंग में भीजै ॥

दाता राम दिये ही जाता ।
भिक्षुक मन पर नहीं अघाता।

देने की सीमा नहीं उनकी।
बुझती नहीं प्यास इस मन की ।
उतनी ही बढ़ती है तृष्णा।
जितना अमृत राम पिलाता।
दाता राम ण्ण्ण्

कहो उऋण कैसे हो पाऊँ।
किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ।
केवल तेरी महिमा गाऊँ।
और मुझे कुछ भी ना आता।
दाता राम ण्ण्ण्

जब जब तेरी महिमा गाता ।
जाने क्या मुझको हो जाता ।
रुंधता कण्ठ नयन भर आते ।
बरबस मैं गुम सुम हो जाता।
दाता राम ण्ण्ण्

दाता राम दिये ही जाता ॥
नंद बाबाजी को छैया
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्
बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

काहे की गेंद है काहे का बल्ला
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

नीली यमुना है नीला गगन है
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः।6ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः9ठःम्0ः।5ः88ःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
भजनों का मुखपृष्ठ

नमामि अम्बे दीन वत्सलेए
तुम्हे बिठाऊँ हृदय सिंहासन ण्
तुम्हे पिन्हाऊँ भक्ति पादुकाए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्

श्रद्धा के तुम्हे फूल चढ़ाऊँए
श्वासों की जयमाल पहनाऊँ ण्
दया करो अम्बिके भवानीए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्

बसो हृदय में हे कल्याणीए
सर्व मंगल मांगल्य भवानी ण्
दया करो अम्बिके भवानीए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्
पितु मातु सहायक स्वामी
पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुमही एक नाथ हमारे हो ण्
जिनके कछु और आधार नहीं तिन्ह के तुमही रखवारे हो ण्ण्
सब भांति सदा सुखदायक हो दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो ण्
प्रतिपाल करो सिगरे जग को अतिशय करुणा उर धारे हो ण्ण्
भुलिहै हम ही तुमको तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ण्ण्
उपकारन को कछु अंत नही छिन ही छिन जो विस्तारे हो ण्
महाराज! महा महिमा तुम्हरी समुझे बिरले बुधवारे हो ण्
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे मनमंदिर के उजियारे हो ण्ण्
यह जीवन के तुम्ह जीवन हो इन प्राणन के तुम प्यारे हो ण्
तुम सों प्रभु पाइ प्रताप हरि केहि के अब और सहारे हो

प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम ।
राम राम राम श्री राम राम राम ॥
पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम ।
भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम ॥
परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम ।
निराधार को आधार एक राम नाम ॥
संत हृदय सदा बसत एक राम नाम ।
परम गोप्य परम इष्ट मंत्र राम नाम ॥
महादेव सतत जपत दिव्य राम नाम ।
राम राम राम श्री राम राम राम ॥
मात पिता बंधु सखा सब ही राम नाम ।
भक्त जनन जीवन धन एक राम नाम ॥
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें.नाज सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२ मस्ताना कर दिया ण्
जब से दिखाई श्याम ने वो सांवरी सुरतियाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
वो सांवरी सुरतिया वो मोहनी मुरतियाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
खुद बन गये शमा मुझे परवाना कर दिया
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
बांकी अदा से देखा मन हरन श्याम नेण्ण्ण्ण्ण्२
मन हरन श्याम ने सखी चित चोर श्याम नेण्ण्ण्ण्२
इस दिन दुनिया से मुझे बेगाना कर दियाण्ण्ण्ण्२
बंशी बजा के श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें.नाज सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२ मस्ताना कर दिया ण्
राधे राधे ए राधे राधे ए
राधे राधे ए राधे राधे


राधे राधेए श्याम मिला दे
जय हो
राधे राधेए श्याम मिला दे

गोवर्धन मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
कुसुम सरोवरए राधे राधे
हरा कुन्ज मेंए राधे राधे
गोवर्धन मेंए राधे राधे
पीली पोखरए राधे राधे


मथुरा जी मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
कुन्ज कुन्ज मेंए राधे राधे
पात पात मेंए राधे राधे
डाल डाल मेंए राधे राधे
वृक्ष वृक्ष में ए राधे राधे
हर आश्रम मेंए राधे राधे

माता बोलेए राधे राधे
बहना बोलेए राधे राधे
भाई बोलेए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे

राधे राधेएराधे राधे
राधे राधेए श्याम मिला दे

अरे
मथुरा जी मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
पीली पोखर ए राधे राधे
गोवर्धन मेंए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
प्रेम से बोलोए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
अरे बोलो बोलोए राधे राधे
अरे गाओ गाओए राधे राधे
सब मिल गाओए राधे राधे
प्रेम से बोलोए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
जोर से बोलोए राधे राधे

राधे राधेएराधे राधे
राधे राधेए श्याम मिला दे


मुकुन्द माधव गोविन्द बोल
केशव माधव हरि हरि बोल ण्ण्
हरि हरि बोल हरि हरि बोल ण्
कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल ण्ण्
राम राम बोल राम राम बोल ण्
शिव शिव बोल शिव शिव बोल ण्
भज मन गोविंद गोविंद
भज मन गोविंद गोविंद गोपाला ण्ण्

भज मन राम चरण सुखदाई ॥
जिन चरनन से निकलीं सुरसरि शंकर जटा समायी ।
जटा शन्करी नाम पड़्यो है त्रिभुवन तारन आयी ॥
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक शेष सहस मुख गायी ।
तुलसीदास मारुतसुत की प्रभु निज मुख करत बढ़ाई ॥
सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥
दुष्ट दुरूशासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।
ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥
जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥
बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥

बाल अवस्था खेल गवांयो।
जब यौवन तब मान घना रे॥

लाहे कारण मूल गवाँयो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥

कहत कबीर सुनो भई साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥

बनवारी रे
जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे
झूठी दुनिया झूठे बंधनए झूठी है ये माया
झूठा साँस का आना जानाए झूठी है ये काया
ओए यहाँ साँचा तेरा नाम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
रंग में तेरे रंग गये गिरिधरए छोड़ दिया जग सारा
बन गये तेरे प्रेम के जोगीए ले के मन एकतारा
ओए मुझे प्यारा तेरा धाम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँए हर चिन्ता मिट जाये
जीवन मेरा इन चरणों मेंए आस की ज्योत जगाये
ओए मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
बधैया बाजे
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम लखन शत्रुघन भरत जी झूलें कंचन पालने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राजा दसरथ रतन लुटावै लाजे ना कोउ माँगने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
प्रेम मुदित मन तीनों रानि सगुन मनावैं मन ही मन में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम जनम को कौतुक देखत बीती रजनी जागने में
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

रोम रोम में रमा हुआ हैए
मेरा राम रमैया तूए
सकल सृष्टि का सिरजनहाराए
राम मेरा रखवैया तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

डाल डाल मेंए पात पात मेंए
मानवता के हर जमात मेंए
हर मजेहबए हर जात पात में
एक तू ही हैए तू ही तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

सागर का खारा जल तू हैए
बादल मेंए हिम कण में तू हैए
गंगा का पावन जल तू हैए
रूप अनेकए एक है तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

चपल पवन के स्वर में तू हैए
पंछी के कलरव में तू हैए
भौरों के गुंजन में तू है ए
हर स्वर में ईश्वर है तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

श्तन है तेराए मन है तेराए
प्राण हैं तेरेए जीवन तेराए
सब हैं तेरेए सब है तेराश्ए
पर मेरा इक तू ही तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्
वीर हनुमाना अति बलवाना

राम राम रटीयो रे
मेरे मन बसियो रे

न कोई संगी साथ की तंगी
विनती सुनियो रे ण्ण्ण् मेरे मन बसियो रे
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ5ःम्0ः।5ः80ःम्0ः।4ःठ0ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः85ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठथ्ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठ5ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे
पीर परायी जाणे रे
पर. दुख्खे उपकार करे तोये
मन अभिमान ना आणे रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
सकळ लोक मा सहुने वंदे
नींदा न करे केनी रे
वाच काछ मन निश्चळ राखे
धन. धन जननी तेनी रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
सम. द्रिष्टी ने तृष्णा त्यागी
पर. स्त्री जेने मात रे
जिह्वा थकी असत्य ना बोले
पर. धन नव झाले हाथ रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
मोह. माया व्यापे नही जेने
द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मा रे
राम नाम शुँ ताळी रे लागी
सकळ तिरथ तेना तन मा रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
वण. लोभी ने कपट. रहित छे
काम. क्रोध निवार्या रे
भणे नरसैय्यो तेनुँ दर्शन कर्ताँ
कुळ एकोतेर तारया रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
शंकर शिव शम्भु साधु संतन हितकारी ॥
लोचन त्रय अति विशाल सोहे नव चन्द्र भाल ।
रुण्ड मुण्ड व्याल माल जटा गंग धारी ॥
पार्वती पति सुजान प्रमथराज वृषभयान ।
सुर नर मुनि सेव्यमान त्रिविध ताप हारी ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

श्याम आये नैनों में
बन गयी मैं साँवरी

शीश मुकुट बंसी अधर
रेशम का पीताम्बर
पहने है वनमालए सखी
सलोनो श्याम सुन्दर
कमलों से चरणों पर
जाऊँ मैं वारि री

मैं तो आज फूल बनूँ
धूप बनूँ दीप बनूँ
गाते गाते गीत सखी
आरती का दीप बनूँ
आज चढ़ूँ पूजा में
बन के एक पाँखुड़ी
शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ

कार्य सिद्धि की करो कामना ।
तुरत हि मन वान्छित फल पाओ ।

अन्तर मन हो ध्यान लगाओ ।
कृपा सिन्धु के दरशन पाओ ।

श्रद्धा भगति सहित निज मन मे ।
मंगल दीप जलाओ जलाओ ।

सेन्दुर तुलसी मेवा मिसरी ।
पुष्प हार नैवेद्य चढ़ाओ ।

मेवे मोदक भोग लगाकर ।
लम्बोदर का जी बहलाओ ।

एक दन्त अति दयावन्त हैं।
उन्हें रिझावो नाचो गाओ ।

सर्व प्रथम गण नाथ मनाओ

शरण में आये हैं
शरण में आये हैं हम तुम्हारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्
सम्हालो बिगड़ी दशा हमारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
न हम में बल है न हम में शक्ति
न हम में साधन न हम में भक्ति ण्
तभी कहाओगे ताप हारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
जो तुम पिता हो तो हम हैं बालक
जो तुम हो स्वामी तो हम हैं सेवक ण्
जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
प्रदान कर दो महान शक्ति
भरो हमारे में ज्ञान भक्ति ण्
तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्




रे मन हरि सुमिरन करि लीजै ॥टेक॥

हरिको नाम प्रेमसों जपियेए हरिरस रसना पीजै ।
हरिगुन गाइयए सुनिय निरंतरए हरि.चरननि चित दीजै ॥

हरि.भगतनकी सरन ग्रहन करिए हरिसँग प्रीति करीजै ।
हरि.सम हरि जन समुझि मनहिं मन तिनकौ सेवन कीजै ॥

हरि केहि बिधिसों हमसों रीझैए सो ही प्रश्न करीजै ।
हरि.जन हरिमारग पहिचानैए अनुमति देहिं सो कीजै ॥

हरिहित खाइयए पहिरिय हरिहितए हरिहित करम करीजै ।
हरि.हित हरि.सन सब जग सेइयए हरिहित मरिये जीजै ॥
राम हि राम बस राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम।
राम हि राम बस ण्ण्ण्

तन में राम तेरे मन में राम ।
मुख में राम वचन में राम ।
जब बोले तब राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

जागत सोवत आठहु याम ।
नैन लखें शोभा को धाम ।
ज्योति स्वरूप राम को नाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

कीर्तन भजन मनन में राम ।
ध्यान जाप सिमरन में राम ।
मन के अधिष्ठान में राम ।
और नाहिं काहू सो काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

सब दिन रात सुबह और शाम ।
बिहरे मन मधुबन में राम ।
परमानन्द शान्ति सुख धाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

राम से बड़ा राम का नाम ।
अंत में निकला ये परिणाम ये परिणाम ।
सिमरिये नाम रूप बिन देखे कौड़ी लगे न दाम ।
नाम के बाँधे खिंचे आयेंगे आखिर एक दिन राम ॥
जिस सागर को बिना सेतु के लाँघ सके ना राम ।
कूद गये हनुमान उसीको ले कर राम का नाम ॥
वो दिलवाले क्या पायेंगे जिन में नहीं है नाम ।
वो पत्थर भी तैरेंगे जिन पर लिखा हुआ श्री राम ॥
राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥
मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग ।
जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है ॥ १॥
सपने जो धन पछान काहे पर करत मान ।
बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है ॥ २॥
नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास ।
छिन छिन करि गयो काल तैसे जात आज है ॥ ३॥
राम राम काहे ना बोले ।
व्याकुल मन जब इत उत डोले।

लाख चैरासी भुगत के आया ।
बड़े भाग मानुष तन पाया।
अवसर मिला अमोलक तुझको।
जनम जनम के अघ अब धो ले।
राम राम ण्ण्ण्

राम जाप से धीरज आवै ।
मन की चंचलता मिट जावै।
परमानन्द हृदय बस जावै ।
यदि तू एक राम का हो ले।
राम राम ण्ण्ण्

इधर उधर की बात छोड़ अब ।
राम नाम सौं प्रीति जोड़ अब।
राम धाम में बाँह पसारे ।
श्री गुरुदेव खड़े पट खोले।
राम राम ण्ण्ण्

रामए बोलो रामए बोलो राम ।
रामए बोलो रामए बोलो राम ॥

राम नाम मुद मंगलकारी ।
विघ्न हरे सब पातक हारी ॥

रामए बोलो रामए बोलो राम ।
रामए बोलो रामए बोलो राम ॥
राम बिराजो हृदय भवन में
तुम बिन और न हो कुछ मन में


अपना जान मुझे स्वीकारो ।
भ्रम भूलों से बेगि उबारो ।
मोह जनित संकट सब टारो ।
उलझा हूँ मैं भव बंधन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


तुम जानो सब अंतरयामी ।
तुम बिन कुछ भाये ना स्वामी ।
प्रेम बेल उर अंतर जामी ।
तुम ही सार वस्तु जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


निज चरणों में तनिक ठौर दो ।
चाहे स्वामी कुछ न और दो ।
केवल अपनी कृपा कोर दो ।
रामामृत भर दो जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा।
दरसन देहु भाग बड़ मोरा॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला।
कहै कबीर राम रमूं अकेला॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरीए जय श्री राधा
सुघड़ सांवरा सूरत भोरीए जय श्री कृष्ण
श्यामा श्याम एक सी जोड़ी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

पंच रंग चूनरए केसर न्यारीए जय श्री राधा
पट पीताम्बरए कामर कारीए जय श्री कृष्ण
एकरूपए अनुपम छवि प्यारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमकेए जय श्री राधा
मोर मुकुट सिर दम दम दमकेए जय श्री कृष्ण
जुगल प्रेम रस झम झम झमके
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दाए जय श्री राधा
चन्दन चारु तिलक गति चन्दाए जय श्री कृष्ण
सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

घूम घुमारो घांघर सोहेए जय श्री राधा
कटि कटिनी कमलापति सोहेए जय श्री कृष्ण
कमलासन सुर मुनि मन मोहे
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

रत्न जटित आभूषण सुन्दरए जय श्री राधा
कौस्तुभमणि कमलांचित नटवरए जय श्री कृष्ण
तड़त कड़त मुरली ध्वनि मनहर
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण ण्
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

मन्द हसन मतवारे नैनाए जय श्री राधा
मनमोहन मनहारे सैनाए जय श्री कृष्ण
जटु मुसकावनि मीठे बैना
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

श्री राधा भव बाधा हारीए जय श्री राधा
संकत मोचन कृष्ण मुरारीए जय श्री कृष्ण
एक शक्तिए एकहि आधारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

जग ज्योतिए जगजननी माताए जय श्री रा्धा
जगजीवनए जगपतिए जग दाताए जय श्री कृष्ण
जगदाधारए जगत विख्याता
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

राधाए राधाए कृष्ण कन्हैयाए जय श्री रा्धा
भव भय सागर पार लगैयाए जय श्री कृष्ण
मंगल मूरतिए मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनिए जय श्री रा्धा
त्रिभुवनपतिए त्रयताप नसावनए जय श्री कृष्ण
परमदेविए परमेश्वर पावन
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

त्रिसमय युगल चरण चित धावेए जय श्री रा्धा
सो नर जगत परमपद पावेए जय श्री कृष्ण
राधा कृष्ण श्छैलश् मन भावे
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्
हरि तुम हरो जन की भीरए
द्रोपदी की लाज राखीए तुम बढ़ायो चीर॥

भगत कारण रूप नरहरि धर्यो आप सरीर ॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्यो नाहिन धीर॥

बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठथ्ऋःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ऋःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।5ः80ःम्0ः।4ःठ0ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया



हे गोविन्द हे गोपाल

हे गोविन्द राखो शरन
अब तो जीवन हारे

नीर पिवन हेत गयो सिन्धु के किनारे
सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे

चार प्रहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे

द्वारका मे सबद दयो शोर भयो द्वारे
शन्ख चक्र गदा पद्म गरूड तजि सिधारे

सूर कहे श्याम सुनो शरण हम तिहारे
अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे

हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये ।
पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए ॥
पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करता तोल ।
ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल ॥
जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
हे जगत्राता विश्वविधाता हे सुखशांतिनिकेतन हे ।
प्रेमके सिंधो दीनके बंधो दुःख दरिद्र विनाशन हे ।
नित्य अखंड अनंत अनादि पूर्ण ब्रह्मसनातन हे ।
जगाअश्रय जगपति जगवंदन अनुपम अलख निरंजन हे ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रतिपालक जीवन के अवलंबन हे ।

हे रोम रोम में बसने वाले राम ण्
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी ण्
मैं तुझसे क्या माँगू ण्ण्
भेद तेरा कोई क्या पहचाने ण्
जो तुझसा हो वो तुझे जाने ण्
तेरे किये को हम क्या देवे ण्
भले बुरे का नाम ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करोए
हरि चरणारविन्द उर धरो ण्ण्

हरि की कथा होये जब जहाँए
गंगा हू चलि आवे तहाँ ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करो ण्ण्ण्

यमुना सिंधु सरस्वती आवेए
गोदावरी विलम्ब न लावे ण्

सर्व तीर्थ को वासा तहाँए
सूर हरि कथा होवे जहाँ ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करो

हर सांस में हर बोल में
हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है ण्
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है ण्ण्
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है ण्
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ण्ण्
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है ण्
उस नाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ण्ण्
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है ण्
मनके यहां बिखरे हुये प्रभु ने पिरोया तार है

हमें नन्द नन्दन मोल लियो
मोल लियोए मोल लियो द्यद्य

जम की भाँति
काठि मुख रायो
अभय अजात कियो द्यद्य

सब कोउ कहत
गुलाम श्याम को
सुनत सिरात हियो द्यद्य

सूरदास प्रभुजू को चेरो
यमैं तोद्ध जूठन खाय जियो

हमको मनकी शक्ति देनाए मन विजय करें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए खुदकी जय करें ।
हमको मनकी शक्ति देना ॥
भेदभाव अपने दिलसेए साफ कर सकें ।
दूसरोंसे भूल हो तोए माफ कर सकें ।
झूठसे बचे रहेंए सचका दम भरें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए
मुश्किलें पडें तो हमपेए इतना कर्म कर ।
साथ दें तो धर्मकाए चलें तो धर्म पर ।
खुदपे हौसला रहेए सचका दम भरें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ6ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठथ्ऋःम्0ः।4ः।6ःम्0ः।5ः87ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा ण्
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ण्ण्

जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा ण्
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ण्ण्

जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा ण्
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ण्ण्

जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा ण्
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ण्ण्

जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा ण्
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ण्ण्
यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों कालाण्ण्ण्

बोली मुस्काती मैया
ललन को बताया
काली अँधियारी आधी रात मैं तू आया
लाडला कन्हैया मेरा
काली कमली वाला
इसीलिए काला

यशोमती मैया सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

बोली मुस्काती मैया
सुन मेरे प्यारे
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे
काली नैनों वाली नेण्ण्ण्
ऐसा जादू डाला
इसलिए कालाण्ण्ण्

यशोमती मैया से बोले नंदलाला ण्ण्ण्ण्ण्

इतने में राधा प्यारी आई इठलाती
मैंने न जादू डाला बोली मुस्काती
लाडला कन्हैया तेरा जग से निराला
इसलिए कालाण्ण्ण्ण्ण्

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों कालाण्ण्ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठ6ःम्0ः।5ः8ठःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः88ःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ःठ8ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।5ः8ठःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः।6ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठम्ष् से लिया गया
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नामण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्

सांवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्

जमुना की लहरें बंसी बजती सैयांए
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया
श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिजधामण्ण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्ण्ण्ण्

सांवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्ण्ण्

कौन जाने बांसुरिया किसको बुलाये
जिसके मन भाए वो तो उसी के गुण गाएण्ण्ण्
कौन नहीं बंसी की धुन का गुलामण्ण्ण्ण्
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नामण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्ण्ण्ण्

भजनों का मुखपृष्ठ

हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैया
एक ने तुझको जन्म दिया हैए एक ने तुझको पालाण्ण्ण्

मानी मान्यताएं और देवी देव पूजेए पीर सही देवकी ने
दूध में नहलाने का गोद में खिलाने का सुख पाया यशोदाजी ने
एक ने तुझको जन्म दिया हैंए एक ने जीवन संभालाण्ण्
हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैयाण्ण्ण्ण्

मरने के डर से भेज दिया दर से देवकी ने रे गोकुल में
बिना दिए जन्म यशोदा बनी माता तुझको छुपाया आँचल में
जन्म दिया हो चाहे पाला हो किसीने भेद यह ममता न जाने
कोई भी हो जिसने दिया हो प्यार माँ का मन तो माँ उसी को माने
एक ने तुझको दी हे रे आँखें एक ने दिया उजालाण्ण्
हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैयाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आए विनती करतए हूँए रखियो लाजए मन तड़पत॥।
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नजर कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बातए तड़पत हरी दरसन॥।
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राजए तड़पत हरी॥।
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आजए ॥।
बड़ा नटखट हे रे कृष्ण कन्हैया
का करे यशोदा मैया ण्ण्ण्ण्

ढूंढे री अँखियाँ उसे चहुँ और
जाने कहाँ छुप गया नन्द किशोर
उड़ गया ऐसे जैसे पुरवैयाण्ण्
का करे यशोदा मैया ण्ण्ण्

आ तोहे मैं गले से लगा लूँ
लागे न किसी की नजर मन मे छुपा लूँ
धुप जगत है रे ममता है छैयाँ
का करे यशोदा मैयाण्ण्

मेरे जीवन का तू एक ही सपना
जो कोई देखे तोहे समझे वो अपना
सब का है प्याराए हो सब का प्यारा बंसी बजैया
का करे यशोदा मैयाण्ण्
तोरा मन दर्पण कहलाये
भलेए बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए

मन ही देवता मन ही इश्वर
मन से बड़ा न कोई
मन उजियारा एजब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजाले दर्पण पर प्राणीए धूल ना जमने पाए
तोरा मन दर्पण कहलाये ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

सुख की कलियाँए दुःख के कांटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छुपे न
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ण्ण्ण्ण्ण्ण्
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए

लौटा जो दिया तूनेए
लौटा जो दिया तूनेए
चले जाएंगे जहां से हमए
चले जाएंगे जहां से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए

घायल मन का पागल पन्छीए
उड़ने को बेकरारए
उड़ने को बेकरारए
पंख है कोमल आंख है धुंधलीए
जाना है सागर पारए
जाना है सागर पारए
अब तू ही इसे समझाए
अब तू ही इसे समझाए
राह भूले थे कहाँ से हमए
राह भूले थे कहाँ से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए

इधर झूम के गाये ज़िन्दगीए
उधर है मौत खडीए
उधर है मौत खडीए
कोई क्या जाने कहाँ है सीमाए
उलझन आन पडीए
उलझन आन पडीए
कानों मे जरा कह देए
कानों मे जरा कह देए
कि आये कौन दिशा से हमए
कि आये कौन दिशा से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए







ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
चढ़ी बरात लई आगौनीए नर.नारी सब देखन आए मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी॥ ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
बालक.बच्चे करैं चवौआ भाग चलौ ह्याँ आयौ हौआ मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
सोच समझकै दियौ जनमासौ बारौठी कौ करौ तमासौ चैमुख दिवला बाल सजा लई कंचन की थारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
करन आरता मैना आई रूप देखकै वो घबराई मैया खड़े सेई खाइयै पछार छूट गई कंचन की थारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
आठ माघ नौ कातिक न्हाई दस बैसाख अलूनौ खाई बहना फूटे री या गौरा के भाग कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
हाथ जोड़ गौरा है गई ठाड़ी भेस बदल लो हे तिपुरारी मेरी घबरा रई महतार कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
बदलूँ भेस करूँ ना देरी तेरी माँ अब माँ है मेरी मत ना घबरावै महतार कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
जब भोले नै रूप सँवारौ माई.बाप कौ मन हरषायौ मैया सुखी री भयौ है संसार पड़न लगीं बुँदियाँ अति भारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
ष्

अल्लाह तेरो नामए ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम ण्ण्ण्
माँगों का सिन्दूर ना छूटे
माँगों का
सिन्दूर ना छूटे
माँ बहनो की आस ना टूटे
माँ बहनो की
आस ना टूटे
देह बिनाए दाताए देह बिना
भटके ना प्राण
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नामए ईश्वर तेरो नामए
ओ सारे जग के रखवाले
ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानो कोए
ओए बलवानो को देदे ज्ञान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नामय
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
यसाहिर लुधियानवीद्ध







प्रथम भगति संतन कर संगा द्य
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा द्यद्य

गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान द्य
चैथि भगति मम गुन गन करइ कपट तज गान द्यद्य

मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा द्य
पंचम भजन सो बेद प्रकासा द्यद्य

छठ दम सील बिरति बहु करमा द्य
निरत निरंतर सज्जन धर्मा द्यद्य

सातव सम मोहि मय जग देखा द्य
मोते संत अधिक करि लेखा द्यद्य

आठव जथा लाभ संतोषा द्य
सपनेहु नहिं देखहि परदोषा द्यद्य

नवम सरल सब सन छनहीना द्य
मम भरोस हिय हरष न दीना द्यद्य

नव महुं एकउ जिन्ह कें होई ।
नारि पुरूष सचराचर कोई ॥

मम दरसन फल परम अनूपा द्य
जीव पाइ निज सहज सरूपा द्यद्य

सगुन उपासक परहित निरत नीति दृढ़ नेम द्य
ते नर प्राण समान मम जिन के द्विज पद प्रेम द्यद्य


न वे ऊँचे दावे करते हैं
न उनको ले कर
एक दूसरे को कोसते या लड़ते.मरते हैं।
जबकि
जनता की सेवा करने के भूखे
सारे दल भेडियों से टूटते हैं ।
ऐसी.ऐसी बातें
और ऐसे.ऐसे शब्द सामने रखते हैं
जैसे कुछ नहीं हुआ है
और सब कुछ हो जाएगा ।

जबकि
सारे दल
पानी की तरह धन बहाते हैंए
गडरिए मेंड़ों पर बैठे मुस्कुराते हैं
ण्ण्ण् भेडों को बाड़े में करने के लिए
न सभाएँ आयोजित करते हैं
न रैलियाँए
न कंठ खरीदते हैंए न हथेलियाँए
न शीत और ताप से झुलसे चेहरों पर
आश्वासनों का सूर्य उगाते हैंए
स्वेच्छा से
जिधर चाहते हैंए उधर
भेड़ों को हाँके लिए जाते हैं ।

गडरिए कितने सुखी हैं ।

भ्रंद
य1द्ध
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी।

देख्यौ चाहति कमलनैन कौए
निसि.दिन रहति उदासी।।

आए ऊधै फिरि गए आँगनए
डारि गए गर फांसी।

केसरि तिलक मोतिन की मालाए
वृन्दावन के बासी।।

काहू के मन को कोउ न जानतए
लोगन के मन हांसी।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौए
करवत लैहौं कासी।।









2
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो।
इस भव बंधन के भय से हमें उबारौ।

तुम कृपा सिंधु रघुनाथ नाथ हो मेरे ।
मैं अधम पड़ा हूँ चरण कमल पर तेरे।
हे नाथ। तनिक तो हमरी ओर निहारो।
अब कृपा करो ण्ण्ण्

मैं पंगु दीन हौं हीन छीन हौं दाता ।
अब तुम्हें छोड़ कित जाउं तुम्हीं पितु माता ।
मैं गिर न कहीं प्रभु जाऊँ आय सम्हारो।
अब कृपा करो ण्ण्ण्

मन काम क्रोध मद लोभ मांहि है अटका ।
मम जीव आज लगि लाख योनि है भटका ।
अब आवागमन छुड़ाय नाथ मोहि तारो।
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो ॥








आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में ण्
प्रियतम सीताराम हृदय में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम रोम रोम में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम जन जन में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम कण कण में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम मुख में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम मन में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम स्वांस स्वांस में ण्ण्
श्री राम जय राम जय जय राम ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्
राम राम राम राम राम राम राम ण्ण्







3
उठ जाग मुसाफिर भोर भईए अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
जो जागत है सो पावत हैए जो सोवत है वो खोवत है

खोल नींद से अँखियाँ जरा और अपने प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीति करन की रीती नहीं प्रभु जागत है तू सोवत हैण्ण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्

जो कल करना है आज करले जो आज करना है अब करले
जब चिडियों ने खेत चुग लिया फिर पछताये क्या होवत हैण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्

नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठरी शीश धरी फिर शीश पकड़ क्यों रोवत हैण्ण्ण् उठ ण्ण्ण्ण्
ष्












4
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥

कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥

पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥

तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥

ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥
ष्


कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगाए
आना पड़ेगा ण्
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ण्ण्

गोकुल में आया मथुरा में आ
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा ण्
अरे सांवरे देख आ के जरा
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ण्ण्

जमुना के पानी में हलचल नहीं ण्
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं ण्
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ ण्
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं ण्

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्ण्

तुम राम रूप में आनाए तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेकेए धनुष हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम श्याम रूप में आनाए तुम श्याम रूप में आनाए
राधा साथ लेकेए मुरली हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम शिव के रूप में आनाए तुम शिव के रूप में आनाण्ण्
गौरा साथ लेके ए डमरू हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम विष्णु रूप में आनाए तुम विष्णु रूप में आनाए
लक्ष्मी साथ लेकेए चक्र हाथ लेकेए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्

तुम गणपति रूप में आनाए तुम गणपति रूप में आना
रीधी साथ लेकेए सीधी साथ लेके ए
चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्ण्

कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आनाण्ण्ण्





करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना ण्ण्

कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ ण्
करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना ण्ण्

कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो ण्
सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना ण्ण्

पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ ण्
भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ण्ण्















कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे
सुनयना रानी अपनी लली को दुलरावे

मुख चू्मे और कण्ठ लगावे
मन में मोद में मनावे
कौशल्या रानी
मन में मोद में मनावे

शिव ब्रह्मा जाको पार न पावे
निगम नेति कहि गावे
कौशल्या रानी
निगम नेति कहि गावे

हरि सहचरि बड़ भाग्य निराली
अपनी गोद खिलावे
कौशल्या रानी
अपनी गोद खिलावे








घूँघट का पट खोल रेए
तोहे पिया मिलेंगे।

घट घट रमता राम रमैयाए
कटुक बचन मत बोल रे॥

रंगमहल में दीप बरत हैए
आसन से मत डोल रे॥

कहत कबीर सुनो भाई साधोंए
अनहद बाजत ढोल रे॥













छोटी छोटी गैयाँए छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

छोटी छोटी गैयाँए छोटे छोटे ग्वाल
छोटो सो मेरो मदन गोपाल

आगे आगे गैयाँ पीछे पीछे ग्वाल
बीच मैं है मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

घास खाए गैयाँए दूध पीये ग्वाल
माखन मिसरी खाए मेरो मदन गोपालण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

काली काली गैयाँए गोरे गोरे ग्वाल
श्याम वरन मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी लाखुटी छोटे छोटे हाथ
बंसी बजावे मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ

छोटी छोटी सखियाँ मधुबन बाल
रास रचावे मेरो मदन गोपालण्ण्ण्ण्ण् छोटी छोटी गैयाँ
ष्
जब से लगन लगी प्रभु तेरी
जब से लगन लगी प्रभु तेरी सब कुछ मैं तो भूल गयी हूँ ण्ण्
बिसर गयी क्या था मेरा बिसर गयी अब क्या है मेरा ण्
अब तो लगन लगी प्रभु तेरी तू ही जाने क्या होगा ण्ण्
जब मैं प्रभु में खो जाती हूं मेघ प्रेम के घिर आते हैं ण्
मेरे मन मंदिर मे प्रभु के चारों धाम समा जाते हैं ण्ण्
बार बार तू कहता मुझसे जग की सेवा कर तू मन से ण्
इसी में मैं हूं सभी में मैं हूं तू देखे तो सब कुछ मैं हूं ण्ण्
ष्


जय जय गिरिबरराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥

जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥

भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
ष्

जय राम रमारमनं शमनं ण् भव ताप भयाकुल पाहि जनं ण्ण्
अवधेस सुरेस रमेस विभो ण् शरनागत मांगत पाहि प्रभो ण्ण्
दससीस विनासन बीस भुजा ण् कृत दूरि महा महि भूरि रुजा ण्ण्
रजनीचर बृंद पतंग रहे ण् सर पावक तेज प्रचंड दहे ण्ण्
महि मंडल मंडन चारुतरं ण् धृत सायक चाप निषंग बरं ण्ण्
मद मोह महा ममता रजनी ण् तम पुंज दिवाकर तेज अनी ण्ण्
मनजात किरात निपात किये ण् मृग लोग कुभोग सरेन हिये ण्ण्
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे ण् विषया बन पांवर भूलि परे ण्ण्
बहु रोग बियोगिन्हि लोग हये ण् भवदंघ्रि निरादर के फल ए ण्ण्
भव सिंधु अगाध परे नर ते ण् पद पंकज प्रेम न जे करते ण्ण्
अति दीन मलीन दुःखी नितहीं ण् जिन्ह कें पद पंकज प्रीत नहीं ण्ण्
अवलंब भवंत कथा जिन्ह कें ण् प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह कें ण्ण्
नहिं राग न लोभ न मान मदा ण् तिन्ह कें सम बैभव वा बिपदा ण्ण्
एहि ते तव सेवक होत मुदा ण् मुनि त्यागत जोग भरोस सदा ण्ण्
करि प्रेम निरंतर नेम लियें ण् पद पंकज सेवत शुद्ध हियें ण्ण्
सम मानि निरादर आदरही ण् सब संत सुखी बिचरंति मही ण्ण्
मुनि मानस पंकज भृंग भजे ण् रघुवीर महा रनधीर अजे ण्ण्
तव नाम जपामि नमामि हरी ण् भव रोग महागद मान अरी ण्ण्
गुन सील कृपा परमायतनं ण् प्रनमामि निरंतर श्रीरमनं ण्ण्
रघुनंद निकंदय द्वंद्व घनं ण् महिपाल बिलोकय दीन जनं ण्ण्
बार बार बर मागौं हरषि देहु श्रीरंग ण्
पद सरोज अनपायानी भगति सदा सतसंग ण्ण्
जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ॥

सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥

दुष्ट दुरूशासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।
ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥

जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥
ष्







5
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जबसे शरण तेरी आयाए मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को
जैसे मिल ना रहा हो किनाराए मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

शीतल बने आग चंदन के जैसी
राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाएं रातें
जो थीं अमावस अंधेरीए जो थीं अमावस अंधेरी
युग. युग से प्यासी मरुभूमि ने
जैसे सावन का संदेस पाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
उस पर कदम मैं बढ़ाऊं
फूलों में खारों मेंए पतझड़ बहारों में
मैं न कभी डगमगाऊंए मैं न कभी डगमगाऊं
पानी के प्यासे को तकदीर ने
जैसे जी भर के अमृत पिलाया
ऐसा ही सुख ण्ण्ण्

6
ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो ॥

जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलोए प्रेम की गंगा

आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलोए प्रेम की गंगा

छाया है छाओं और अंधेरा भटक गैइ हैं दिशाएं
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं
धरती को स्वर्ग बनाते चलोए प्रेम की गंगा
ष्
तुम तजि और कौन पै जाऊं ।
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ॥

ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं ।
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ॥

रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं ।
कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं ॥

भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥
ष्
तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥

तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे कोई न अपना सिवा तुम्हारे ।
तुम्ही हो नैय्या तुम्ही खेवैय्या तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥

जो कल खिलेंगे वो फूल हम हैं तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ।
दया की दृष्टि सदा ही रखना तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ॥
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।।ःम्0ः।4ःठथ्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः8ठऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥

इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुझ्को ।
क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझ्को ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥

क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है ।
इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है ।
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ॥
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः82ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ः।8ऋःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः87ःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः9क्ःम्0ः।5ः80ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
भजनों का मुखपृष्ठ

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे ॥
नैया तेरी राम हवाले लहर
लहर हरि आप सम्हाले हरि
आप ही उठायें तेरा भार
उदासी मन काहे को करे ॥
काबू में मंझधार उसी के
हाथों में पतवार उसी के
तेरी हार भी नहीं है तेरी
हार उदासी मन काहे को करे ॥
सहज किनारा मिल जायेगा
परम सहारा मिल जायेगा
डोरी सौंप के तो देख एक बार
उदासी मन काहे को करे ॥
तू निर्दोष तुझे क्या डर है
पग पग पर साथी ईश्वर है ।
सच्ची भावना से कर ले पुकार
उदासी मन काहे को करे ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।
देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं ।
तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं ॥
अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं ।
हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ॥
ष्
भजो राधे गोविंदा
भजो राधे गोविंदा

गोपाला तेरा प्यारा नाम है
गोपाला तेरा प्यारा नाम है
नंदलाला तेरा प्यारा नाम है

मोर मुकुट माथे तिलक विराजे
गले वैजन्थिमाला गले वैजन्थिमाला
कोई कहे वासुदेव का नंदन
कोई कहे नंदलाला कोई कहे नंदलाला

भजो राधे गोविंदा ण् ण् ण्

गज और ग्रेहे लड़े जल भीतर
जल में चक्र चलाया जल में चक्र चलाया
जब जब पीर पड़ी भगतों पर
नंगे पैरीं धाया नंगे पैरीं धायाण्ण्ण्

भजो राधे गोविंदाण्ण्
भजनों का मुखपृष्ठ

मन लाग्य मेरो यार
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
भला बुरा सब का सुन्लीजै
कर गुजरान गरीबी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
आखिर यह तन छार मिलेगा
कहाँ फिरत मगरूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
प्रेम नगर में रहनी हमारी
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
कहत कबीर सुनो भयी साधो
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामए
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

अयोध्या नगरी में तुम जन्मे ए दशरथ पुत्र कहायेए
विश्वामित्र थे गुरु तुम्हारेए कौशल्या के जायेए
ऋषि मुनियों की रक्षा करके तुमने किया है नाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
तुलसी जैसे भक्त तुम्हारेए बांटें जग में ज्ञानण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

सुग्रीव.विभीषण मित्र तुम्हारेए केवट. शबरी साधकए
भ्राता लक्ष्मण संग तुम्हारेए राक्षस सारे बाधकए
बालि.रावण को संहाराए सौंपा अदभुद धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
जटायु सा भक्त आपका आया रण में काम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

शिव जी ठहरे तेरे साधकए हनुमत भक्त कहातेए
जिन पर कृपा तुम्हारी होती वो तेरे हो जातेए
सबको अपनी शरण में ले लोए दे दो अपना धाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
जग में हम सब चाहें तुझसेए भक्ति का वरदान ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

मोक्ष.वोक्ष कुछ मैं ना माँगूं ए कर्मयोग तुम देनाए
जब भी जग में मैं गिर जाऊँ मुझको अपना लेनाए
कृष्ण और साईं रूप तुम्हारेए करते जग कल्याण ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
कैसे करुँ वंदना तेरी ए दे दो मुझको ज्ञान ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

जो भी चलता राह तुम्हारीए जग उसका हो जाताए
लव.कुश जैसे पुत्र वो पाएए भरत से मिलते भ्राताए
उसके दिल में तुम बस जाना जो ले.ले तेरा नाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
भक्ति सहित अम्बरीष सौंपे तुझको अपना प्रणाम ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

मनवा मेरा कब से प्यासाए दर्शन दे दो रामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
जय.जय राम सीतारामए जय.जय राम सीतारामण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
भजनों का मुखपृष्ठ

मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान् तुम्हारे चरणों में
यह विनती है पल पल छिन कीए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में

चाहे बैरी सब संसार बनेए चाहे जीवन मुझ पर भार बने
चाहे मौत गले का हार बनेए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!१!!

चाहे अग्नि में मुझे जलना होए चाहे काटों पे मुझे चलना हो
चाहे छोडके देश निकलना होए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!२!!

चाहे संकट ने मुझे घेरा होए चाहे चारों ओर अँधेरा हो
पर मन नहीं डग मग मेरा होए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!३!!

जिव्हा पर तेरा नाम रहेए तेरा ध्यान सुबह और शाम रहे
तेरी याद तो आठों याम रहेए रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में !!४!!
रघुबर तुमको मेरी लाज

सदा सदा मैं शरण तिहारी
तुम हो गरीब नेवाज
रघुबर तुम हो गरीब नेवाज
रघुबर तुमको मेरी लाज

पतित उधारन विरद तिहारो
श्रवन न सुनी आवाज
हूँ तो पतित पुरातन कहिये
पार उतारो जहाज रघुबर
पार उतारो जहाज
रघुबर ण्ण्ण्

अघ खण्डन दुख भंजन जन के
यही तिहारो काज
रघुबर यही तिहारो काज

तुलसीदास पर किरपा कीजे
भक्ति दान देहु आज
रघुबर भक्ति दान देहु आज
रघुबर तुमको मेरी लाज ण्ण्ण्
ष्
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति ण्ण्ण्
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति ण्ण्ण्
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति ण्ण्ण्
राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

निर्गुणियों के साँवरिया ने
खोये भाग जगाये ।

मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा
केवल नाम पुकारूं ।

साँवरिया बिन हिरदय दूजो
और न कोई धारूँ ।

चुपके से मन्दिर में जाके
जैसे दीप जलाये ॥

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

दुःखों में था डूबा जीवन
सारे सहारे टूटे ।

मोह माया ने डाले बन्धन
अन्दर बाहर छूटे ॥

कैसी मुश्किल में हरि मेरे
मुझको बचाने आये ।

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

दुनिया से क्या लेना मुझको
मेरे श्याम मुरारी ॥

मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं
सर्वस्व है गिरिधारी ।

शरन लगा के हरि ने मेरे
सारे दुःख मिटाये ॥

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

भजनों का मुखपृष्ठ

राधे तू राधेए राधे तू राधे ए तेरा नाम रटूं मैंए
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्ण्

सावन का महिना होगा उसमें होंगे झूलेए
राधे तू झूले ए तेरी डोर बनूँ मैं ण्ण् तेरी डोर बनूँ मैंण्ण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्

बाधो का महिना होगा उसमें होंगे बादलए
राधे तू बादलए राधे तू बादलए तेरा नीर बनूँ मैंए तेरा नीर बनूँ मैं
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्

कार्तिक का महिना होगा उसमें होंगे दीपक
राधे तू दीपकए राधे तू दीपकए तेरी ज्योत बनूँ मैंण्ण्ण्ण्तेरी ज्योत बनूँ मैंण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्

फागुन का महिना होगा उसमें होगी होलीए
राधे तू होलीए राधे तू होली तेरा रंग बनूँ मैंए तेरा रंग बनूँ मैंण्ण्ण्
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्

राधे तू राधेए राधे तू राधे ए तेरा नाम रटूं मैंए
हर पल तेरे साथ रहूँ मैंण्ण्ण्ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।7ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः82ऋःम्0ः।4ःठ0ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।7ःम्0ः।5ः87ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

श्याम प्यारे की जय
बंसीवारे की जय
बोलो पीत पटवारे की जय जय

मेरे प्यारे की जय
मेरी प्यारी की जय
गलबाँहें डाले छवि न्यारी की जय

राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय

राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय


राधे से रस ऊपजेए रस से रसना गाय ।

अरे कृष्णप्रियाजू लाड़लीए तुम मोपे रहियो सहाय ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
वृष्भानु दुलारी की जय जय जय
बोलो कीरथि प्यारी की जय जय जय घ्घ्

बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

मेरे प्यारे की जय
मेरी प्यारी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय
गलबाँहें डाले छवि न्यारी की जय


वृन्दावन के वृक्ष को मरम न जाने कोय ।

जहाँ डाल डाल और पात पे श्री राधे राधे होय ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
बोलो बरसानेवाली की जय जय जय

एक चंचल एक भोली भाली की जय
राधे रानी की जय जय
महारानी की जय


वृन्दावन बानिक बन्यो जहाँ भ्रमर करत गुंजार ।

अरी दुल्हिन प्यारी राधिकाए अरे दूल्हा नन्दकुमार ॥


राधे रानी की जय जय
महारानी की जय
नटवारी की जय
बनवारी की जय
एक चंचल एक भोली भाली की जय


वृन्दावन से वन नहींए नन्दगाँव सो गाँव ।

बन्सीवट सो वट नहींए कृष्ण नाम सो नाम ॥


बन्सीवारे की जय
बन्सीवारे की जय
बोलो पीतपटवारे की जय जय जय
राधे रानी की जय जय
महारानी की जय



राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे की दास ।

जनम जनम मोहे दीजियो श्री वृन्दावन वास ॥



सब द्वारन को छाँड़ि केए अरे आयी तेरे द्वार ।

वृषभभानु की लाड़लीए तू मेरी ओर निहार ॥



राधे रानी की जय जय
महारानी की जय

जय हो !

बोलो वृन्दावन की जय । घ्
अलबेली सरकार की जय ।
बोलो श्री वृन्दावन बिहारी लाल की जय ॥
राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत ण्
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत ण्ण्

राम करे सो होय रे मनवाए राम करे सो होये ण्ण्

कोमल मन काहे को दुखायेए काहे भरे तोरे नैना ण्
जैसी जाकी करनी होगीए वैसा पड़ेगा भरना ण्
काहे धीरज खोये रे मनवाए काहे धीरज खोये ण्ण्

पतित पावन नाम है वाकोए रख मन में विश्वास ण्
कर्म किये जा अपना रे बंदेए छोड़ दे फल की आस ण्
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवाए राह दिखाऊँ तोहे ण्ण्
ष्
राम दो निज चरणों में स्थान
शरणागत अपना जन जान


अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधन हीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
राम दो ण्ण्ण्

सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं ।
राम नाम मुद मंगल धाम।
राम दो ण्ण्ण्

केवल राम नाम ही जानूं ।
और धर्म मत ना पहिचानूं ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
राम दो ण्ण्ण्

हनुमत जैसा अतुलित बल दो ।
पर.सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि विवेक शक्ति सम्बल दो ।
पूरा करूं राम का काम।
राम दो निज चरणों में स्थान
उममतं
राम नाम रस पीजे मनुवाँ राम नाम रस पीजै ।
तज कुसंग सत्संग बैठ नित हरि चर्चा सुन लीजै ॥
काम क्रोध मद लोभ मोह को बहा चित्त से दीजै ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ताहिके रंग में भीजै ॥

दाता राम दिये ही जाता ।
भिक्षुक मन पर नहीं अघाता।

देने की सीमा नहीं उनकी।
बुझती नहीं प्यास इस मन की ।
उतनी ही बढ़ती है तृष्णा।
जितना अमृत राम पिलाता।
दाता राम ण्ण्ण्

कहो उऋण कैसे हो पाऊँ।
किस मुद्रा में मोल चुकाऊँ।
केवल तेरी महिमा गाऊँ।
और मुझे कुछ भी ना आता।
दाता राम ण्ण्ण्

जब जब तेरी महिमा गाता ।
जाने क्या मुझको हो जाता ।
रुंधता कण्ठ नयन भर आते ।
बरबस मैं गुम सुम हो जाता।
दाता राम ण्ण्ण्

दाता राम दिये ही जाता ॥
नंद बाबाजी को छैया
नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्
बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

काहे की गेंद है काहे का बल्ला
गेंद मे काहे का लागा है छल्ला
कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला
गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला
सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्

नीली यमुना है नीला गगन है
नीले कन्हैया नीला कदम्ब है
सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया ण्
कन्हैया कन्हैया रे ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः।6ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः9ठःम्0ः।5ः88ःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
भजनों का मुखपृष्ठ

नमामि अम्बे दीन वत्सलेए
तुम्हे बिठाऊँ हृदय सिंहासन ण्
तुम्हे पिन्हाऊँ भक्ति पादुकाए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्

श्रद्धा के तुम्हे फूल चढ़ाऊँए
श्वासों की जयमाल पहनाऊँ ण्
दया करो अम्बिके भवानीए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्

बसो हृदय में हे कल्याणीए
सर्व मंगल मांगल्य भवानी ण्
दया करो अम्बिके भवानीए
नमामि अम्बे भवानि अम्बे ण्ण्
पितु मातु सहायक स्वामी
पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुमही एक नाथ हमारे हो ण्
जिनके कछु और आधार नहीं तिन्ह के तुमही रखवारे हो ण्ण्
सब भांति सदा सुखदायक हो दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो ण्
प्रतिपाल करो सिगरे जग को अतिशय करुणा उर धारे हो ण्ण्
भुलिहै हम ही तुमको तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ण्ण्
उपकारन को कछु अंत नही छिन ही छिन जो विस्तारे हो ण्
महाराज! महा महिमा तुम्हरी समुझे बिरले बुधवारे हो ण्
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे मनमंदिर के उजियारे हो ण्ण्
यह जीवन के तुम्ह जीवन हो इन प्राणन के तुम प्यारे हो ण्
तुम सों प्रभु पाइ प्रताप हरि केहि के अब और सहारे हो

प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम ।
राम राम राम श्री राम राम राम ॥
पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम ।
भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम ॥
परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम ।
निराधार को आधार एक राम नाम ॥
संत हृदय सदा बसत एक राम नाम ।
परम गोप्य परम इष्ट मंत्र राम नाम ॥
महादेव सतत जपत दिव्य राम नाम ।
राम राम राम श्री राम राम राम ॥
मात पिता बंधु सखा सब ही राम नाम ।
भक्त जनन जीवन धन एक राम नाम ॥
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें.नाज सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२ मस्ताना कर दिया ण्
जब से दिखाई श्याम ने वो सांवरी सुरतियाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
वो सांवरी सुरतिया वो मोहनी मुरतियाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२
खुद बन गये शमा मुझे परवाना कर दिया
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
बांकी अदा से देखा मन हरन श्याम नेण्ण्ण्ण्ण्२
मन हरन श्याम ने सखी चित चोर श्याम नेण्ण्ण्ण्२
इस दिन दुनिया से मुझे बेगाना कर दियाण्ण्ण्ण्२
बंशी बजा के श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें.नाज सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्२ मस्ताना कर दिया ण्
राधे राधे ए राधे राधे ए
राधे राधे ए राधे राधे


राधे राधेए श्याम मिला दे
जय हो
राधे राधेए श्याम मिला दे

गोवर्धन मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
कुसुम सरोवरए राधे राधे
हरा कुन्ज मेंए राधे राधे
गोवर्धन मेंए राधे राधे
पीली पोखरए राधे राधे


मथुरा जी मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
कुन्ज कुन्ज मेंए राधे राधे
पात पात मेंए राधे राधे
डाल डाल मेंए राधे राधे
वृक्ष वृक्ष में ए राधे राधे
हर आश्रम मेंए राधे राधे

माता बोलेए राधे राधे
बहना बोलेए राधे राधे
भाई बोलेए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे

राधे राधेएराधे राधे
राधे राधेए श्याम मिला दे

अरे
मथुरा जी मेंए राधे राधे
वृन्दावन मेंए राधे राधे
पीली पोखर ए राधे राधे
गोवर्धन मेंए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
प्रेम से बोलोए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
अरे बोलो बोलोए राधे राधे
अरे गाओ गाओए राधे राधे
सब मिल गाओए राधे राधे
प्रेम से बोलोए राधे राधे
सब मिल बोलोए राधे राधे
जोर से बोलोए राधे राधे

राधे राधेएराधे राधे
राधे राधेए श्याम मिला दे


मुकुन्द माधव गोविन्द बोल
केशव माधव हरि हरि बोल ण्ण्
हरि हरि बोल हरि हरि बोल ण्
कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल ण्ण्
राम राम बोल राम राम बोल ण्
शिव शिव बोल शिव शिव बोल ण्
भज मन गोविंद गोविंद
भज मन गोविंद गोविंद गोपाला ण्ण्

भज मन राम चरण सुखदाई ॥
जिन चरनन से निकलीं सुरसरि शंकर जटा समायी ।
जटा शन्करी नाम पड़्यो है त्रिभुवन तारन आयी ॥
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक शेष सहस मुख गायी ।
तुलसीदास मारुतसुत की प्रभु निज मुख करत बढ़ाई ॥
सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥
दुष्ट दुरूशासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।
ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥
जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥
बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥

बाल अवस्था खेल गवांयो।
जब यौवन तब मान घना रे॥

लाहे कारण मूल गवाँयो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥

कहत कबीर सुनो भई साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥

बनवारी रे
जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे
झूठी दुनिया झूठे बंधनए झूठी है ये माया
झूठा साँस का आना जानाए झूठी है ये काया
ओए यहाँ साँचा तेरा नाम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
रंग में तेरे रंग गये गिरिधरए छोड़ दिया जग सारा
बन गये तेरे प्रेम के जोगीए ले के मन एकतारा
ओए मुझे प्यारा तेरा धाम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँए हर चिन्ता मिट जाये
जीवन मेरा इन चरणों मेंए आस की ज्योत जगाये
ओए मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे
बनवारी रे ण्ण्ण्
बधैया बाजे
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम लखन शत्रुघन भरत जी झूलें कंचन पालने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राजा दसरथ रतन लुटावै लाजे ना कोउ माँगने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
प्रेम मुदित मन तीनों रानि सगुन मनावैं मन ही मन में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम जनम को कौतुक देखत बीती रजनी जागने में
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

रोम रोम में रमा हुआ हैए
मेरा राम रमैया तूए
सकल सृष्टि का सिरजनहाराए
राम मेरा रखवैया तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

डाल डाल मेंए पात पात मेंए
मानवता के हर जमात मेंए
हर मजेहबए हर जात पात में
एक तू ही हैए तू ही तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

सागर का खारा जल तू हैए
बादल मेंए हिम कण में तू हैए
गंगा का पावन जल तू हैए
रूप अनेकए एक है तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

चपल पवन के स्वर में तू हैए
पंछी के कलरव में तू हैए
भौरों के गुंजन में तू है ए
हर स्वर में ईश्वर है तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्

श्तन है तेराए मन है तेराए
प्राण हैं तेरेए जीवन तेराए
सब हैं तेरेए सब है तेराश्ए
पर मेरा इक तू ही तूए
तू ही तूए तू ही तूए ण्ण्ण्
वीर हनुमाना अति बलवाना

राम राम रटीयो रे
मेरे मन बसियो रे

न कोई संगी साथ की तंगी
विनती सुनियो रे ण्ण्ण् मेरे मन बसियो रे
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ5ःम्0ः।5ः80ःम्0ः।4ःठ0ऋःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।5ः81ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ः85ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठथ्ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठ5ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे
पीर परायी जाणे रे
पर. दुख्खे उपकार करे तोये
मन अभिमान ना आणे रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
सकळ लोक मा सहुने वंदे
नींदा न करे केनी रे
वाच काछ मन निश्चळ राखे
धन. धन जननी तेनी रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
सम. द्रिष्टी ने तृष्णा त्यागी
पर. स्त्री जेने मात रे
जिह्वा थकी असत्य ना बोले
पर. धन नव झाले हाथ रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
मोह. माया व्यापे नही जेने
द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मा रे
राम नाम शुँ ताळी रे लागी
सकळ तिरथ तेना तन मा रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
वण. लोभी ने कपट. रहित छे
काम. क्रोध निवार्या रे
भणे नरसैय्यो तेनुँ दर्शन कर्ताँ
कुळ एकोतेर तारया रे
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
शंकर शिव शम्भु साधु संतन हितकारी ॥
लोचन त्रय अति विशाल सोहे नव चन्द्र भाल ।
रुण्ड मुण्ड व्याल माल जटा गंग धारी ॥
पार्वती पति सुजान प्रमथराज वृषभयान ।
सुर नर मुनि सेव्यमान त्रिविध ताप हारी ॥
भजनों का मुखपृष्ठ

श्याम आये नैनों में
बन गयी मैं साँवरी

शीश मुकुट बंसी अधर
रेशम का पीताम्बर
पहने है वनमालए सखी
सलोनो श्याम सुन्दर
कमलों से चरणों पर
जाऊँ मैं वारि री

मैं तो आज फूल बनूँ
धूप बनूँ दीप बनूँ
गाते गाते गीत सखी
आरती का दीप बनूँ
आज चढ़ूँ पूजा में
बन के एक पाँखुड़ी
शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ

कार्य सिद्धि की करो कामना ।
तुरत हि मन वान्छित फल पाओ ।

अन्तर मन हो ध्यान लगाओ ।
कृपा सिन्धु के दरशन पाओ ।

श्रद्धा भगति सहित निज मन मे ।
मंगल दीप जलाओ जलाओ ।

सेन्दुर तुलसी मेवा मिसरी ।
पुष्प हार नैवेद्य चढ़ाओ ।

मेवे मोदक भोग लगाकर ।
लम्बोदर का जी बहलाओ ।

एक दन्त अति दयावन्त हैं।
उन्हें रिझावो नाचो गाओ ।

सर्व प्रथम गण नाथ मनाओ

शरण में आये हैं
शरण में आये हैं हम तुम्हारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्
सम्हालो बिगड़ी दशा हमारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
न हम में बल है न हम में शक्ति
न हम में साधन न हम में भक्ति ण्
तभी कहाओगे ताप हारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
जो तुम पिता हो तो हम हैं बालक
जो तुम हो स्वामी तो हम हैं सेवक ण्
जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्
प्रदान कर दो महान शक्ति
भरो हमारे में ज्ञान भक्ति ण्
तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी
दया करो हे दयालु भगवन ण्ण्




रे मन हरि सुमिरन करि लीजै ॥टेक॥

हरिको नाम प्रेमसों जपियेए हरिरस रसना पीजै ।
हरिगुन गाइयए सुनिय निरंतरए हरि.चरननि चित दीजै ॥

हरि.भगतनकी सरन ग्रहन करिए हरिसँग प्रीति करीजै ।
हरि.सम हरि जन समुझि मनहिं मन तिनकौ सेवन कीजै ॥

हरि केहि बिधिसों हमसों रीझैए सो ही प्रश्न करीजै ।
हरि.जन हरिमारग पहिचानैए अनुमति देहिं सो कीजै ॥

हरिहित खाइयए पहिरिय हरिहितए हरिहित करम करीजै ।
हरि.हित हरि.सन सब जग सेइयए हरिहित मरिये जीजै ॥
राम हि राम बस राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम।
राम हि राम बस ण्ण्ण्

तन में राम तेरे मन में राम ।
मुख में राम वचन में राम ।
जब बोले तब राम हि राम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

जागत सोवत आठहु याम ।
नैन लखें शोभा को धाम ।
ज्योति स्वरूप राम को नाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।।

कीर्तन भजन मनन में राम ।
ध्यान जाप सिमरन में राम ।
मन के अधिष्ठान में राम ।
और नाहिं काहू सो काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

सब दिन रात सुबह और शाम ।
बिहरे मन मधुबन में राम ।
परमानन्द शान्ति सुख धाम ।
और नाहि काहू से काम ।
राम हि राम बस रामहि राम ।

राम से बड़ा राम का नाम ।
अंत में निकला ये परिणाम ये परिणाम ।
सिमरिये नाम रूप बिन देखे कौड़ी लगे न दाम ।
नाम के बाँधे खिंचे आयेंगे आखिर एक दिन राम ॥
जिस सागर को बिना सेतु के लाँघ सके ना राम ।
कूद गये हनुमान उसीको ले कर राम का नाम ॥
वो दिलवाले क्या पायेंगे जिन में नहीं है नाम ।
वो पत्थर भी तैरेंगे जिन पर लिखा हुआ श्री राम ॥
राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥
मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग ।
जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है ॥ १॥
सपने जो धन पछान काहे पर करत मान ।
बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है ॥ २॥
नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास ।
छिन छिन करि गयो काल तैसे जात आज है ॥ ३॥
राम राम काहे ना बोले ।
व्याकुल मन जब इत उत डोले।

लाख चैरासी भुगत के आया ।
बड़े भाग मानुष तन पाया।
अवसर मिला अमोलक तुझको।
जनम जनम के अघ अब धो ले।
राम राम ण्ण्ण्

राम जाप से धीरज आवै ।
मन की चंचलता मिट जावै।
परमानन्द हृदय बस जावै ।
यदि तू एक राम का हो ले।
राम राम ण्ण्ण्

इधर उधर की बात छोड़ अब ।
राम नाम सौं प्रीति जोड़ अब।
राम धाम में बाँह पसारे ।
श्री गुरुदेव खड़े पट खोले।
राम राम ण्ण्ण्

रामए बोलो रामए बोलो राम ।
रामए बोलो रामए बोलो राम ॥

राम नाम मुद मंगलकारी ।
विघ्न हरे सब पातक हारी ॥

रामए बोलो रामए बोलो राम ।
रामए बोलो रामए बोलो राम ॥
राम बिराजो हृदय भवन में
तुम बिन और न हो कुछ मन में


अपना जान मुझे स्वीकारो ।
भ्रम भूलों से बेगि उबारो ।
मोह जनित संकट सब टारो ।
उलझा हूँ मैं भव बंधन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


तुम जानो सब अंतरयामी ।
तुम बिन कुछ भाये ना स्वामी ।
प्रेम बेल उर अंतर जामी ।
तुम ही सार वस्तु जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


निज चरणों में तनिक ठौर दो ।
चाहे स्वामी कुछ न और दो ।
केवल अपनी कृपा कोर दो ।
रामामृत भर दो जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ण्ण्ण्


राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
जल में रहहि जलहि बिनु जीना॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा।
दरसन देहु भाग बड़ मोरा॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला।
कहै कबीर राम रमूं अकेला॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

चन्द्रमुखी चंचल चितचोरीए जय श्री राधा
सुघड़ सांवरा सूरत भोरीए जय श्री कृष्ण
श्यामा श्याम एक सी जोड़ी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

पंच रंग चूनरए केसर न्यारीए जय श्री राधा
पट पीताम्बरए कामर कारीए जय श्री कृष्ण
एकरूपए अनुपम छवि प्यारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

चन्द्र चन्द्रिका चम चम चमकेए जय श्री राधा
मोर मुकुट सिर दम दम दमकेए जय श्री कृष्ण
जुगल प्रेम रस झम झम झमके
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

कस्तूरी कुम्कुम जुत बिन्दाए जय श्री राधा
चन्दन चारु तिलक गति चन्दाए जय श्री कृष्ण
सुहृद लाड़ली लाल सुनन्दा
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

घूम घुमारो घांघर सोहेए जय श्री राधा
कटि कटिनी कमलापति सोहेए जय श्री कृष्ण
कमलासन सुर मुनि मन मोहे
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

रत्न जटित आभूषण सुन्दरए जय श्री राधा
कौस्तुभमणि कमलांचित नटवरए जय श्री कृष्ण
तड़त कड़त मुरली ध्वनि मनहर
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण ण्
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

मन्द हसन मतवारे नैनाए जय श्री राधा
मनमोहन मनहारे सैनाए जय श्री कृष्ण
जटु मुसकावनि मीठे बैना
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

श्री राधा भव बाधा हारीए जय श्री राधा
संकत मोचन कृष्ण मुरारीए जय श्री कृष्ण
एक शक्तिए एकहि आधारी
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

जग ज्योतिए जगजननी माताए जय श्री रा्धा
जगजीवनए जगपतिए जग दाताए जय श्री कृष्ण
जगदाधारए जगत विख्याता
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

राधाए राधाए कृष्ण कन्हैयाए जय श्री रा्धा
भव भय सागर पार लगैयाए जय श्री कृष्ण
मंगल मूरतिए मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

सर्वेश्वरी सर्व दुःखदाहनिए जय श्री रा्धा
त्रिभुवनपतिए त्रयताप नसावनए जय श्री कृष्ण
परमदेविए परमेश्वर पावन
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्

त्रिसमय युगल चरण चित धावेए जय श्री रा्धा
सो नर जगत परमपद पावेए जय श्री कृष्ण
राधा कृष्ण श्छैलश् मन भावे
श्री राधा कृष्णाय नमः ण्ण्
हरि तुम हरो जन की भीरए
द्रोपदी की लाज राखीए तुम बढ़ायो चीर॥

भगत कारण रूप नरहरि धर्यो आप सरीर ॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्यो नाहिन धीर॥

बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥


हे गोविन्द हे गोपाल

हे गोविन्द राखो शरन
अब तो जीवन हारे

नीर पिवन हेत गयो सिन्धु के किनारे
सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे

चार प्रहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे

द्वारका मे सबद दयो शोर भयो द्वारे
शन्ख चक्र गदा पद्म गरूड तजि सिधारे

सूर कहे श्याम सुनो शरण हम तिहारे
अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे

हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये ।
पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए ॥
पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करता तोल ।
ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल ॥
जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
हे जगत्राता विश्वविधाता हे सुखशांतिनिकेतन हे ।
प्रेमके सिंधो दीनके बंधो दुःख दरिद्र विनाशन हे ।
नित्य अखंड अनंत अनादि पूर्ण ब्रह्मसनातन हे ।
जगाअश्रय जगपति जगवंदन अनुपम अलख निरंजन हे ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रतिपालक जीवन के अवलंबन हे ।

हे रोम रोम में बसने वाले राम ण्
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी ण्
मैं तुझसे क्या माँगू ण्ण्
भेद तेरा कोई क्या पहचाने ण्
जो तुझसा हो वो तुझे जाने ण्
तेरे किये को हम क्या देवे ण्
भले बुरे का नाम ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करोए
हरि चरणारविन्द उर धरो ण्ण्

हरि की कथा होये जब जहाँए
गंगा हू चलि आवे तहाँ ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करो ण्ण्ण्

यमुना सिंधु सरस्वती आवेए
गोदावरी विलम्ब न लावे ण्

सर्व तीर्थ को वासा तहाँए
सूर हरि कथा होवे जहाँ ण्ण्
हरि हरिए हरि हरिए सुमिरन करो

हर सांस में हर बोल में
हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है ण्
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है ण्ण्
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है ण्
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ण्ण्
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है ण्
उस नाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ण्ण्
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है ण्
मनके यहां बिखरे हुये प्रभु ने पिरोया तार है

हमें नन्द नन्दन मोल लियो
मोल लियोए मोल लियो द्यद्य

जम की भाँति
काठि मुख रायो
अभय अजात कियो द्यद्य

सब कोउ कहत
गुलाम श्याम को
सुनत सिरात हियो द्यद्य

सूरदास प्रभुजू को चेरो
यमैं तोद्ध जूठन खाय जियो

हमको मनकी शक्ति देनाए मन विजय करें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए खुदकी जय करें ।
हमको मनकी शक्ति देना ॥
भेदभाव अपने दिलसेए साफ कर सकें ।
दूसरोंसे भूल हो तोए माफ कर सकें ।
झूठसे बचे रहेंए सचका दम भरें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए
मुश्किलें पडें तो हमपेए इतना कर्म कर ।
साथ दें तो धर्मकाए चलें तो धर्म पर ।
खुदपे हौसला रहेए सचका दम भरें ।
दूसरोंकी जयसे पहलेए
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ःठ9ःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8ठऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ःठ6ःम्0ः।4ः95ःम्0ः।5ः8क्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।4ःठथ्ऋःम्0ः।4ः।6ःम्0ः।5ः87ःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ःठम्ऋध्ऋःम्0ः।4ः।क्ःम्0ः।4ः9ब्ःम्0ः।4ः।8ष् से लिया गया
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा ण्
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ण्ण्

जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा ण्
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ण्ण्

जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा ण्
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ण्ण्

जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा ण्
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ण्ण्

जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा ण्
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ण्ण्
यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों कालाण्ण्ण्

बोली मुस्काती मैया
ललन को बताया
काली अँधियारी आधी रात मैं तू आया
लाडला कन्हैया मेरा
काली कमली वाला
इसीलिए काला

यशोमती मैया सेण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

बोली मुस्काती मैया
सुन मेरे प्यारे
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे
काली नैनों वाली नेण्ण्ण्
ऐसा जादू डाला
इसलिए कालाण्ण्ण्

यशोमती मैया से बोले नंदलाला ण्ण्ण्ण्ण्

इतने में राधा प्यारी आई इठलाती
मैंने न जादू डाला बोली मुस्काती
लाडला कन्हैया तेरा जग से निराला
इसलिए कालाण्ण्ण्ण्ण्

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों कालाण्ण्ण्ण्
ष्ीजजचरूध्ध्ूूूणंअपजंावेीण्वतहधाध्पदकमगण्चीचघ्जपजसमत्रःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठ6ःम्0ः।5ः8ठःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।4ः।4ःम्0ः।5ः80ऋःम्0ः।4ः।म्ःम्0ः।5ः88ःम्0ः।4ः।थ्ःम्0ः।4ःठम्ऋःम्0ः।4ःठ8ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।ब्ःम्0ः।5ः8ठःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।5ः87ऋःम्0ः।4ः।8ःम्0ः।4ः82ःम्0ः।4ः।6ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठम्ःम्0ः।4ःठ2ःम्0ः।4ःठम्ष् से लिया गया
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नामण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्

सांवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्

जमुना की लहरें बंसी बजती सैयांए
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया
श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिजधामण्ण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्ण्ण्ण्

सांवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्ण्ण्

कौन जाने बांसुरिया किसको बुलाये
जिसके मन भाए वो तो उसी के गुण गाएण्ण्ण्
कौन नहीं बंसी की धुन का गुलामण्ण्ण्ण्
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्यामण्ण्ण्

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नामण्ण्
लोग करें मीरा को यूँही बदनामण्ण्ण्ण्ण्

भजनों का मुखपृष्ठ

हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैया
एक ने तुझको जन्म दिया हैए एक ने तुझको पालाण्ण्ण्

मानी मान्यताएं और देवी देव पूजेए पीर सही देवकी ने
दूध में नहलाने का गोद में खिलाने का सुख पाया यशोदाजी ने
एक ने तुझको जन्म दिया हैंए एक ने जीवन संभालाण्ण्
हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैयाण्ण्ण्ण्

मरने के डर से भेज दिया दर से देवकी ने रे गोकुल में
बिना दिए जन्म यशोदा बनी माता तुझको छुपाया आँचल में
जन्म दिया हो चाहे पाला हो किसीने भेद यह ममता न जाने
कोई भी हो जिसने दिया हो प्यार माँ का मन तो माँ उसी को माने
एक ने तुझको दी हे रे आँखें एक ने दिया उजालाण्ण्
हे रे कन्हैया किसको कहेगा तू मैयाण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्
मन तड़पत हरि दरसन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आए विनती करतए हूँए रखियो लाजए मन तड़पत॥।
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नजर कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बातए तड़पत हरी दरसन॥।
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राजए तड़पत हरी॥।
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आजए ॥।
बड़ा नटखट हे रे कृष्ण कन्हैया
का करे यशोदा मैया ण्ण्ण्ण्

ढूंढे री अँखियाँ उसे चहुँ और
जाने कहाँ छुप गया नन्द किशोर
उड़ गया ऐसे जैसे पुरवैयाण्ण्
का करे यशोदा मैया ण्ण्ण्

आ तोहे मैं गले से लगा लूँ
लागे न किसी की नजर मन मे छुपा लूँ
धुप जगत है रे ममता है छैयाँ
का करे यशोदा मैयाण्ण्

मेरे जीवन का तू एक ही सपना
जो कोई देखे तोहे समझे वो अपना
सब का है प्याराए हो सब का प्यारा बंसी बजैया
का करे यशोदा मैयाण्ण्
तोरा मन दर्पण कहलाये
भलेए बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए

मन ही देवता मन ही इश्वर
मन से बड़ा न कोई
मन उजियारा एजब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजाले दर्पण पर प्राणीए धूल ना जमने पाए
तोरा मन दर्पण कहलाये ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्

सुख की कलियाँए दुःख के कांटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छुपे न
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ण्ण्ण्ण्ण्ण्
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए

लौटा जो दिया तूनेए
लौटा जो दिया तूनेए
चले जाएंगे जहां से हमए
चले जाएंगे जहां से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए

घायल मन का पागल पन्छीए
उड़ने को बेकरारए
उड़ने को बेकरारए
पंख है कोमल आंख है धुंधलीए
जाना है सागर पारए
जाना है सागर पारए
अब तू ही इसे समझाए
अब तू ही इसे समझाए
राह भूले थे कहाँ से हमए
राह भूले थे कहाँ से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए

इधर झूम के गाये ज़िन्दगीए
उधर है मौत खडीए
उधर है मौत खडीए
कोई क्या जाने कहाँ है सीमाए
उलझन आन पडीए
उलझन आन पडीए
कानों मे जरा कह देए
कानों मे जरा कह देए
कि आये कौन दिशा से हमए
कि आये कौन दिशा से हमए
तू प्यार का सागर हैए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तेरी एक बून्द के प्यासे हमए
तू प्यार का सागर हैए
तू प्यार का सागर हैए







ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
चढ़ी बरात लई आगौनीए नर.नारी सब देखन आए मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी॥ ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
बालक.बच्चे करैं चवौआ भाग चलौ ह्याँ आयौ हौआ मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
सोच समझकै दियौ जनमासौ बारौठी कौ करौ तमासौ चैमुख दिवला बाल सजा लई कंचन की थारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
करन आरता मैना आई रूप देखकै वो घबराई मैया खड़े सेई खाइयै पछार छूट गई कंचन की थारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
आठ माघ नौ कातिक न्हाई दस बैसाख अलूनौ खाई बहना फूटे री या गौरा के भाग कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
हाथ जोड़ गौरा है गई ठाड़ी भेस बदल लो हे तिपुरारी मेरी घबरा रई महतार कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
बदलूँ भेस करूँ ना देरी तेरी माँ अब माँ है मेरी मत ना घबरावै महतार कै वर मिलौ लटधारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
जब भोले नै रूप सँवारौ माई.बाप कौ मन हरषायौ मैया सुखी री भयौ है संसार पड़न लगीं बुँदियाँ अति भारीयइसे 2 बार दोहराना हैद्ध मैया ऐसी री चढ़ी है बरात कै वामै आयौ लटधारी। ऐसी भोले की रे चढ़ी है बरात शोर भयौ नगरी में भारीयइसे 3 बार दोहराना हैद्ध
ष्

अल्लाह तेरो नामए ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम ण्ण्ण्
माँगों का सिन्दूर ना छूटे
माँगों का
सिन्दूर ना छूटे
माँ बहनो की आस ना टूटे
माँ बहनो की
आस ना टूटे
देह बिनाए दाताए देह बिना
भटके ना प्राण
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नामए ईश्वर तेरो नामए
ओ सारे जग के रखवाले
ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानो कोए
ओए बलवानो को देदे ज्ञान
सबको सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नामय
ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम
यसाहिर लुधियानवीद्ध







प्रथम भगति संतन कर संगा द्य
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा द्यद्य

गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान द्य
चैथि भगति मम गुन गन करइ कपट तज गान द्यद्य

मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा द्य
पंचम भजन सो बेद प्रकासा द्यद्य

छठ दम सील बिरति बहु करमा द्य
निरत निरंतर सज्जन धर्मा द्यद्य

सातव सम मोहि मय जग देखा द्य
मोते संत अधिक करि लेखा द्यद्य

आठव जथा लाभ संतोषा द्य
सपनेहु नहिं देखहि परदोषा द्यद्य

नवम सरल सब सन छनहीना द्य
मम भरोस हिय हरष न दीना द्यद्य

नव महुं एकउ जिन्ह कें होई ।
नारि पुरूष सचराचर कोई ॥

मम दरसन फल परम अनूपा द्य
जीव पाइ निज सहज सरूपा द्यद्य

सगुन उपासक परहित निरत नीति दृढ़ नेम द्य
ते नर प्राण समान मम जिन के द्विज पद प्रेम द्यद्य

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