To day is प्रदोष व्रत (Pradosha vrata)
according to mahashiva puran this day is with mrigshir and adra nakchatra very strong yog for siddhi
we should worship lord shiv with vedik mantra
प्रदोष व्रत (Pradosha vrata) मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। । प्रदोष व्रत (Pradosha vrata) को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
प्रदोष व्रत के बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है।
प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की , गंगाजल, अक्षत, बेल पत्र,धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए।
आज दिनांक २५ मार्च २०१७ को शनि प्रदोष है जो की लगभग ६:३० से ९ बजे रात्रि तक रहेगी
शिव पुराण और अन्य प्रमाणों में बताया है की यदि प्रदोष में धनिष्ठा नक्षत्र का योग बने तो सभी कामनाओ को पुरा करने वाला योग बनता है और वैसे भी यहाँ हिन्दू वर्ष की अंतिम प्रदोष पूजा है जिस प्रकार हम एक नई शुरुवात को महत्व देते है ऐसे ही यदि विक्रम संवित की इस अंतिम प्रदोष में हम मंगल कारी भोले नाथ की आराधना करे तो निश्चित ही अत्यंत मंगल कारी होगा नए शुरुवात भी होगी
ॐ नमः शिवाय
according to mahashiva puran this day is with mrigshir and adra nakchatra very strong yog for siddhi
we should worship lord shiv with vedik mantra
प्रदोष व्रत (Pradosha vrata) मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। । प्रदोष व्रत (Pradosha vrata) को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
प्रदोष व्रत के बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है।
प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में महादेव भोले शंकर की पूजा की जाती है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की , गंगाजल, अक्षत, बेल पत्र,धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए।
आज दिनांक २५ मार्च २०१७ को शनि प्रदोष है जो की लगभग ६:३० से ९ बजे रात्रि तक रहेगी
शिव पुराण और अन्य प्रमाणों में बताया है की यदि प्रदोष में धनिष्ठा नक्षत्र का योग बने तो सभी कामनाओ को पुरा करने वाला योग बनता है और वैसे भी यहाँ हिन्दू वर्ष की अंतिम प्रदोष पूजा है जिस प्रकार हम एक नई शुरुवात को महत्व देते है ऐसे ही यदि विक्रम संवित की इस अंतिम प्रदोष में हम मंगल कारी भोले नाथ की आराधना करे तो निश्चित ही अत्यंत मंगल कारी होगा नए शुरुवात भी होगी
ॐ नमः शिवाय